Tuesday, 1 February 2022

पढ़िए गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय | Tulsidas ka Jivan Parichay class 10

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इस लेख में हम पढ़ेंगे महान कवि Tulsidas ka jivan parichay  के विषय में जिसमे हम जानेंगे तुलसीदास का जीवन परिचाय से संबंधित प्रश्न आदि के विषय में  तुलसीदास जी का जन्म कब हुआ था। tulsidas ki rachnaye, भाषा-शैली, साहित्य-परिचय और तुलसीदास के दोहे आदि के बारे में। 

tulsidas ka jivan prichay

अगर आप एक student है तो आपको इनके जीवन परिचय के बारे में  अवश्य पता होना चाहिए। क्योंकि अक्सर तुलसीदास का जीवन परिचय class 10th के परीक्षाओं में अक्सर पूछा जाता हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने जीवन काल में बहुत से महत्वपूर्ण रचना की जिनका हम इस पोस्ट में उल्लेख करेंगे। 

Tulsidas ka jivan parichay In Hindi

गोस्वामी तुलसीदास का जन्म कब और कहा हुआ था। इसके विषय में जानकारों के मत अलग-अलग हैं। लेकिन ज्ञात जानकारी के अनुसार तुलसीदास जी का जन्म संवत 1554 वि० (सन 1532 ई०) में श्रावण शुक्लपक्ष सप्तमी को राजापुर ग्राम (चित्रकूट) उत्तर प्रदेश में माना जाता हैं। 

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गोस्वामी तुलसीदास के जन्म स्थान को लेकर तीन मत हैं। 'मूल गोसाई चरित' और 'तुलसी चरित्र' के अनुसार तुलसी जी का जन्म राजापुर में माना गया। इनके जन्म को लेकर बहुत मान्यताएं प्रचलित हैं, किन्तु यह सबसे सटीक और प्रामाणिक मान जाता हैं। 

तुलसीदास के पिता का नाम आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था। इनके जन्म के संबंध में दोहा भी प्रचलित है जो इस प्रकार है- 

"पंद्रह सौ चौवन बिसे, कालिन्दी के तीर।
श्रावण शुक्ला सप्तमी, तुलसी धरयो शरीर।"

इन्हें जन्म से ही बहुत कठिनाईयो का सामना करना पड़ा था। जब इनका जन्म हुआ था। तब ऐसा लग रहा था कि ये 5 साल के बालक हैं। इन्होने जन्म के पश्चात प्रथम शब्द "राम" बोला था, इसलिए इनका नाम रामबोला भी पड़ गया था। 

इनके माता-पिता को तुलसीदास पर बहुत आश्चर्य होता था और लोगों के सुझाव और जोर देने पर इनके माता-पिता ने इन्हे त्याग दिया था। क्योंकि लोग तुलसीदास के असाधरण कार्यो के वजह से लोग इन्हें राक्षश का रूप मानते थे। 

इनके माता पिता द्वारा इनका त्याग कर दिए जाने के बाद इनका देखभाल एक दासी ने किया था, और इन्हें संत बाबा नरहरिदास जी  तुलसीदास को ज्ञान और भक्ति की शिक्षा दिए। बाद में रत्नावली से इनका विवाह हो गया। 

तुलसीदास के बारे में ऐसा  बारे में ऐसा कहा जाता हैं कि शुरुआत में अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करते थे लेकिन एक बार रत्नावली बिना बताये ही मायके चली गयी थी। तो तुलसीदास आंधी-तूफान का सामना करते हुए भी आधी-रात में अपने ससुराल में पहुंच गए। यह देखते हुए इनकी पत्नी ने इन्हें फटकार लगाते हुए तुलसीदास जी को बहुत बुरा-भला कहा था। 

रत्नावली के फटकार के वजह अंदर वैराग्य उत्त्पन हो गया। और अपने घर बार को छोड़कर काशी के महान विद्वान शेष सनातन से तुलसीदास जी ने वेद-वेदांग का ज्ञान प्राप्त किया। उसके बात बहुत से तीर्थ स्थलों का भ्रमण किया। अंत में राम के पवित्र चरित्र का गान करने लगे। 

Tulsidas ki mrityu kab hui thi (तुलसीदास की मृत्यु कब और कहां हुई थी)

इनका अधिकतर समय काशी, अयोध्या और चित्रकूट में ही व्यतीत हुआ। तुलसीदास जी का देहांत संवत 1680 (सन 1623 ई०) श्रावण में कृष्णपक्ष तृतीया शनिवार को असीघाट पर हुआ था। तुलसीदास के मृत्यु से सम्बंधित एक दोहा प्रचलित है जो इस प्रकार हैं- 

"संवत सोलह सौ असी, गंग के तीर। 

श्रावण कृष्णा तीज शनि, तुलसी तज्यो शरीर।।"

Tulsidas ka sahityik parichay in hindi

तुलसी जी राम के बहुत बड़े भक्त थे। इनकी भक्ति दास्य-भाव की थी। सवत 1631 में इन्होने अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ 'रामचरितमानस' की रचना आरम्भ की थी। रामचरितमानस ग्रन्थ में तुलसीदास ने राम के चरित्र का वर्णन किया हैं। रामचरितमानस बहुत ही लोकप्रिय ग्रन्थ हैं, जिसकी गणना विश्व-साहित्य  प्रमुख ग्रंथो में की जाती हैं। 

तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के अलावा निम्नलिखित ग्रंथो की रचना की-

  • जानकी-मंगल 
  • पार्वती-मंगल 
  • रामलला-नहछू 
  • रामाज्ञा प्रश्न 
  • बरवै रामायण 
  • दोहावली 
  • कवितावली 
  • गीतावली 
  • विनय-पत्रिका 
तुलसी जी के इन रचनाओं में भारतीय सभ्यता और संस्कृति का पूर्ण चित्रण देखने को मिलता हैं। 

Tulsidas ji ki bhasha shaili par prakash daliye

तुलसीदास जी ने अपने समय तक प्रचलित दोहा, चौपाई, कवित्त, सवैया, पद आदि काव्य-शैलियों में तुलसी ने पूर्ण सफलता के साथ काव्य-रचना की हैं। इनके काव्य में भाव-पक्ष के साथ-साथ कला-पक्ष की भी अधिकता होती हैं, जिसमे सभी रसों का आनंद मिलता था। 

आपने क्या सीखा?

दोस्तों आपने इस आर्टिकल में tulsidas ka jivan parichay के बारे में पढ़ा हैं मुझे आशा हैं कि आपको तुलसीदास का जीवन परिचय अवश्य पसंद आयी होगी। हमने इस पोस्ट में तुलसीदास के जीवन से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्यो, साहित्यिक परिचय, और रचनाओं पर प्रकाश डाला हैं। अगर आप एक स्टूडेंट हैं तो आप tulsidas ka jeevan parichay class 10th के लिए भी लिख सकते हैं। अगर पोस्ट पसंद आयी हो तो शेयर जरूर करें। 

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