Sunday, 20 November 2022

भारत की खोज किसने और कब की थी ? | Bharat Ki Khoj Kisne Ki | Who discovered India 2022

By:   Last Updated: in: , ,

Bharat ki khoj kisne ki- जब हम स्कूल में पढ़ाई करते थे तो छोटी ही कक्षा में हमें पढ़ाया जाता था की Bharat ki khoj kisne ki Thi लेकिन आप में से कुछ लोग ऐसे भी होंगे, जिन्हें शायद पता ना हो की भारत की खोज किसने और कब की थी?
bharat ki khoj kisne ki
इसलिए आज के हमारे इस आर्टिकल में हम आपको इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे और वास्कोडिगामा के द्वारा भारत की खोज के बारे में बताएंगे। इस आर्टिकल को पूरा पढ़ना, तभी आप अच्छे से समझ पाओगे की भारत की (Bharat ki khoj kisne ki Thi) खोज किसने और कब की थी।

Bharat Ki Khoj Kisne Ki-भारत की खोज किसने की थी?

तो दोस्तों अब हम जानेंगे Bharat Ki Khoj Kisne Ki एक रिपोर्ट के अनुसार कहा जाता है की भारत की खोज वास्कोडिगामा ने 20 मई 1498 इस्वी में किया था। ऐसा कहा जाता है की वास्कोडिगामा भारत के राज्य "केरल" के कलिकट बंदरगाह पर समुन्द्र के रास्ते से अपने चार बड़े जहाजों के साथ यहाँ तक पंहुचे थे। जब वास्कोडिगामा 20 मई 1498 इस्वी को केरल" के कलिकट बंदरगाह पहुचे थे। 

तो उस समय "केरल" के कलिकट के राजा जामोरीन ने वास्कोडिगामा का दिल खोल कर स्वागत किया था और जामोरीन एक हिन्दू राजा था। वास्कोडिगामा को "डिस्कवरी ऑफ इंडिया" भी कहा जाता है।

लेकिन ऐसा कहना गलत होगा की भारत में सबसे पहले वास्कोडिगामा ने 20 मई 1498 इस्वी में प्रवेश किया था। बल्कि इनसे पहले भी भारत देश में कहीं आक्रमणकारी Mangol से लेकर Sikander और अरब के लोग भारत में प्रवेश कर चुके है। 

लेकिन वास्कोडिगामा को भारत की खोज का श्रेय इसलिए जाता है, क्यूंकि उन्होंने समुद्री मार्ग की खोज करके भारत देश में में प्रवेश किया था। 

जबकि बाकी के आक्रमणकारी मांगोल से लेकर सिकंदर और अरब के लोग समुन्द्र मार्ग से भारत नहीं आये थे।

वास्कोडिगामा की समुद्री मार्ग द्वारा भारत की खोज करने की वजह से। सबसे ज्यादा फायदा बाकी देशों को हुआ था। भारत की खोज करने से भारत वैश्विकरण देश बन गया था और इससे यूरोप जैसे देश भारत से Business करने के लिए भारत देश से जुड़ गये थे। 

जिसे देखते - देखते और भी देश भारत से व्यापार करने के लिए जुड़ गये थे साथ ही ब्रिटिश भी उस समय भारत के साथ व्यापार करने लगा।

उस समय ब्रिटिश, फ्रांस जैसे देश भारत की राजनीति में भी दखल देने लग गये थे। धीरे - धीरे British, Dutch, France जैसे देश भारत में आकर बसने लगे और भारत देश को एक उपनिवेश बना लिया। 

उस समय भारत देश को व्यापार का सबसे आसान और सटीक जरिया समझा जाने लगा था। तो अब आपको पता चल गया होगा की (Bharat Ki Khoj Kisne Ki Thi) भारत की खोज किसने की थी। 

वास्कोडिगामा भारत कैसे आया-Bharat Ki Khoj Kisne Ki Thi

वास्कोडिगामा का जन्म पोर्तुगाल के साईनेस गाँव में 1469 ईस्वी में हुआ था। इनके पिता का नाम एस्तेवाओ द गामा था और माँ का नाम इसाबेल सोर्ड़े था। अगर इनकी पत्नी की बात की जाए तो इनकी पत्नी का नाम कैटरीना द अतायदे था। 

वास्कोडिगामा की प्रथम भारत यात्रा, 8 जुलाई 1497 ईस्वी में अपने 170 नाविकों के दल के साथ चार जहाज के साथ लिस्बन से शुरू हुई थी और इनके साथ दो अरबी बोलने वाले और एक बंटू बोलियों का जानकार भी इस यात्रा में गये थे।

समुन्द्र के रास्ते यात्रा करते - करते 15 जुलाई 1497 ईस्वी को केनेरी द्वीप से गुज़रते हुए वास्कोडिगामा यह बड़ा जहाज 26 जुलाई 1497 ईस्वी को केप वर्डे द्वीप के सॉओ टियागो पर पहुँचा था। इसके बाद Vasco da Gama ने वहाँ 3 अगस्त 1497 ईस्वी तक आराम किया। 

केप वर्डे द्वीप के सॉओ टियागो में आराम करने के बाद 4 अगस्त 1497 ईस्वी को वहाँ से निकलकर 7 नवम्बर 1497 ईस्वी को वास्कोडिगामा अपने बड़े जहाज के साथ दक्षिण अफ्रीका के सांता हैलेना खाड़ी पर पहुँचे थे।

ऐसा कहा जाता है की जब वास्कोडिगामा 7 नवम्बर 1497 दक्षिण अफ्रीका पहुचे थे। तो उन्हें वहाँ कुछ भारतीय दिखाई दिए थे। इसके बाद उन्होंने अपनी यात्रा जारी रखी और वो हिन्द महासागर तक पहुंच गये। 

काफी कठिन पड़ाव पार करते हुए इसी यात्रा के दौरान Vasco da Gama को पता चला की अंटलाटिका महासागर और हिन्द महासागर एक जगह आकर मिलते है और यें वास्कोडिगामा की उस समय की सबसे बड़ी खोज थी।

अपनी यात्रा को जारी रखते हुए वास्कोडिगामा 20 मई 1498 इस्वी को समुन्द्र के रास्ते भारत के राज्य "केरल" के कलिकट बंदरगाह पर पहुचे थे। तब "केरल" के कलिकट के Raja Zamorin ने वास्कोडिगामा का गर्म जोशी के साथ स्वागत किया था और राजा के साथ वास्कोडिगामा ने व्यापार समझौते के लिए काफी चर्चाएं की और व्यापार जानने की कोशिश की। ऐसा माना जाता है की वास्कोडिगामा "Keral" के कलिकट 3 महीने तक रुके थे।

3 महीने भारत में रुकने के बाद वास्कोडिगामा भारत यात्रा पूरी होने के बाद मात्र 55 आदमी और अपने दो बड़े जहाजों के साथ वापिस आपने देश पुर्तगाल चले गये थे और फिर 20 साल बाद वास्कोडिगामा भारत की यात्रा पर दोबारा वापस आये थे। 

इस बार उन्होंने भारत के व्यापारियों और निवासियों के साथ नौसेना से सम्बंधित व्यापार शुरू कर दिया था और इस बार की यात्रा वास्कोडिगामा के लिए पहली वाली यात्रा से काफी अच्छी रही। क्यूंकि इस बार उन्होंने भारत से अपने देश पुर्तगाल के व्यापारियों के लिए बेहतर रियायतें पाने में सफलता प्राप्त की थी।

क्यों हुई था वास्कोडिगामा का चयन भारत के लिए- bharat ki khoj kisne ki thi uska naam

कहा जाता है की 1492 ईस्वी में Prince Henry the Navigator की अगुवाई में king john ने एक पुर्तगाली बेड़े को भारत भेजने की योजना बनाई थी और इसके लिए किंग जॉन ने उस समय Estavodigamma को भारत जाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। 

लेकिन अचानक से एस्टावोडिगामा की मृत्यु हो जाने के बाद यें जिम्मेदारी वास्कोडिगामा के कंधो पर सौंपी गयी थी। प्रिंस हेनरी का मकसद था की व्यापार करने के लिए एशिया के लिए समुद्री रास्ते खोजे जाये। उनका मकसद व्यापार में Arabic Businessmen को व्यापार में पीछे करना था। क्यूंकि उस समय अरब देश, भारत देश से सीधे तौर पर व्यापार के सिलसिले से जुड़े हुए थे।

वास्कोडिगामा को भारत आने का क्या उद्देश्य था-bharat ki khoj kisne ki aur kab ki

पहले समय में भारत देश और यूरोप देश को जोड़ने का रास्ता सिर्फ समुन्द्र ही था। इसके अलावा और कोई ऐसा रास्ता नहीं था जों यूरोप और भारत देश को जोड़ सके। 

इसलिए इस समुन्द्र के रास्ते को खोजने का श्रेय सिर्फ वास्कोडिगामा को जाता है और यें उस समय से वास्कोडिगामा द्वारा सबसे बड़ी खोज थी। 

जिन्होंने अपने 9 महीने के कठिन सफर तय करके। आखिरकार 20 मई 1498 ईस्वी को भारत तथा यूरोप के समुंद्री मार्ग को खोज निकाला था।

भारत की खोज में वास्कोडिगामा की क्या भूमिका रही?

ऐसा कहना गलत नहीं होगा की वास्को डी गामा ऐसे पहले शख्श थे, जिन्होंने भारत के समुद्री मार्गो को खोज निकाला था। अगर इतिहास पलट कर देखा जाये तो क्रिस्टोफर कोलंबस भी भारत को खोजने गए थे। जों गलती से 12 अक्टूबर 1492 ईस्वी को अमेरिकी द्वीप पहुंच गये थे।

क्रिस्टोफर कोलंबस ने 3 अगस्त 1492 ईस्वी को स्पेन से अपने सफर की शुरुआत की थी। लेकिन गलति से उन्होंने "San Salvador Island" को भारत समझ लिया था, जों अमेरिका का एक द्वीप है और वह अपनी पुरी जिंदगी इसी गलती के साथ जिये की उन्होंने ही भारत की खोज की है।

वास्कोडिगामा की मृत्यु कब हुई थी? Bharat Ki Khoj Kisne Ki Thi

1524 ईस्वी में Vasco da Gama आखिरी बार भारत की यात्रा पर निकला था। लेकिन इस बार वह उपनिवेश बस्ती के Governor के रूप में India आया था। लेकिन भारत पहुंचने के कुछ ही दिनों बाद 25 दिसंबर 1524 ईस्वी में वास्कोडिगामा की मृत्यु हो गयी थी। 

ऐसा कहा जाता है की वास्कोडिगामा के केरल के कोच्ची शहर में Maleria से मृत्यु हो गयी थी। आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दे की पुर्तगाल में कई सड़कों का नाम "वास्को" के नाम पर रखा गया है। जों आज भी उनकी यादें ताज़ा कर देती है साथ ही पुर्तगाल के लिस्बन में "Vasco" के नाम का एक स्मारक भी है, जहाँ से उन्होंने अपनी पहली यात्रा भारत के दौरे के लिए की थी।

आपने की सीखा? 

तो दोस्तों अपने इस पोस्ट के माध्यम से जाना Bharat ki khoj kisne ki (भारत की खोज किसने और कब की) इसके अलावा इस पोस्ट में हमने बताया है वास्कोडिगामा कौन था और वह भारत क्यों आया हैं। अगर आपको Bharat ki khoj kisne ki thi पोस्ट helpful लगी हो तो इसे share जरुर करें और अपनी राय हमें कमेंट में जरूर बताएं। 

No comments:
Write comment

अपना महत्वपूर्ण सुझाव कमेंट में जरूर बताएं।